Saturday 21 May 2011

दिवंगत प्रचारक - स्व. पण्डित बच्छराज जी व्यास


स्वर्गीय पण्डित बच्छराज जी व्यास

        राजस्थान में संघ कार्य को मजबूत आधार प्रदान करने वालों में थे-पण्डित बच्छराज जी व्यास। वे मूलतः डीडवाना के रहने वाले थे परन्तु नागपुर में वकालात करते थे। डा.हेडगेवार जी के स्वर्गवास के बाद श्री गुरूजी ने उन्हें राजस्थान में संघ कार्य करने के लिए भेजा।


       बच्छराज जी 1944 में राजस्थान में संघ विस्तार हेतु आये। 1942 में उदयपुर में श्री सुन्दरसिंह जी भण्डारी (प्रधानाध्यापक), 1941 में अजमेर में श्री विश्वनाथ जी लिमये (प्रचारक)व 1940 में श्री गोविन्द भीकाजी फडणीस (पुणे निवासी) द्वारा संघ कार्य का प्रारम्भ हो गया था। 1944 में राजस्थान में 50 शाखाऐं व 1945 में ये संख्या 100 तक पहुँच गई थी। 1946 में मेरठ के संघ शिक्षा वर्ग के समय करीब 125 नियमित शाखाओं तथा 15-20 नई शाखाओं के स्वयंसेवक भाग लेने के लिए राजस्थान से गये थे।

       पण्डित बच्छराज जी व्यास ने पू. डा.हेडगेवार जी के मार्गदर्शन में संघ विचार को ग्रहण किया था। उसी प्रेरणा से प्रेरित होकर श्री गुरूजी के आव्हान पर वे राजस्थान में संघ कार्य के विस्तार हेतु आये। यह वह काल था जिसमें अंग्रेजों की कुटिल नीति ने इस देश में संकुचित जातीयता और क्षेत्रीयता के बीज बो दिये थे। जोधपुर में सर डोनाल्ड फील्ड प्रधानमंत्री थे तो जयपुर में सर मिर्जा इस्माइल का दबदबा था और अजमेर में रेजिडेन्ट यूरोपियन थे। सब जगह विरोध बन्दी कानून जारी थे और लोगो को डाराना धमकाना सहज था। उस समय लोगो में हिन्दुत्व के प्रति आदर था, किन्तु शासन का भय छोटे बड़ो सभी में था। संकुचित जातिवादी संघर्ष, क्षेत्रीय विशेषताओं का दुरभिमान और अंग्रेजी जासूसो का जाल संघ कार्य विस्तार में प्रत्यक्ष बाधा था।

       पण्डित बच्छराज जी ने कार्यकर्ताओं के परामर्श से राजस्थान के कार्य को दिल्ली के सबल केन्द्र के अन्तर्गत रखने का सुझाव दिया तथा तत्कालीन दिल्ली प्रान्त के प्रचारक बसन्तराव जी ओक के मार्गदर्शन में ढ़ाई वर्ष तक संघ विस्तार का कार्य प्रचारक रहकर किया।

       उन दिनों सड़के अधिक नहीं थी। अतः तृतीय श्रेणी के रेल डिब्बो में या फिर पैदल ही प्रवास करना होता था। कार्यकर्ताओं के साहसिक भ्रमणों व लम्बी पैदल यात्राओं ने उस समय के कार्यकर्ताओं में वह जुझारूपन निर्माण किया जिसकी आवश्यकता थी। 

       पण्डित बच्छराज जी व्यास यद्यपि राजस्थान में कार्य करने वाले प्रचारक ही नही थे तथापि 1944 से 1946 के काल खण्ड में जो अद्भुत प्रगति राजस्थान के संघ कार्य में हुई उसका मजबूत आधार उन्होने तैयार किया था।

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