Saturday 21 May 2011

दिवंगत प्रचारक - स्व. श्री भंवर सिंह जी शेखावत


स्वर्गीय श्री भंवर सिंह जी शेखावत
जन्म - 18 जनवरी, 1923  स्वर्गवास - 21 अगस्त, 1986
       श्री भंवर सिंह जी शेखावत का जन्म 18 जनवरी, 1923 को झुन्झुनूं जिले के चिराणा गांव में हुआ। वे 1944 में संघ के सम्पर्क में आये और 1946 में प्रचारक बने। वे अपने माता पिता की अकेली संतान थे। वे अपनी माँ से कहा करते थे कि तेरा एक बेटा देश सेवा में समर्पित हुआ है तो तेरी सेवा करने के लिए ईश्वर तुझे दूसरा पुत्र अवश्य देगा। भंवर सिंह जी के जन्म के 23 वर्ष बाद उनके छोटे भाई गुमान सिंह जी का जन्म हुआ।

       1946 से 1959 तक राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचारक, 1959 से 1963 तक बीकानेर विभाग प्रचारक, 1963 से 1971 तक अजमेर विभाग प्रचारक, 1971 से 1976 तक पुनः बीकानेर विभाग प्रचारक, 1976 से 1983 तक प्रान्त के व्यवस्था प्रमुख रहे। इसी काल खण्ड में इन्होंने भारती भवन निर्माण के सम्पूर्ण कार्य की देखभाल पूर्ण मनोयोग से की। 1984 से 1986 तक वे उदयपुर संभाग के प्रचारक रहे।

       श्री भंवर सिंह जी स्वामी विवेकानन्द शिला स्मारक समिति, राजस्थान के संगठन मंत्री भी रहे। इनके मार्गदर्शन में पूरे राजस्थान से 6,68,624 रूपये एकत्र किये गये थे जिसमें से 1 लाख, 5 हजार रूपये का सहयोग राजस्थान सरकार का रहा। 

      श्री भंवर सिंह जी हँसमुख एवं मिलनसार व्यक्तित्व के मालिक थे। सम्भवतः उनकी इन्ही व्यक्तित्व विशेषताओं के कारण संघ क्षेत्र में वे एक सफल एवं परिणाम देने वाले प्रचारक रहे। 

        श्री भंवर सिंह जी बड़े ही निर्भिक एवं संघर्षशील प्रचारक थे। पहले प्रतिबंध के समय यद्यपि वे नये नये प्रचारक थे, लेकिन अपने जुझारू व्यक्तित्व के कारण प्रतिबंध हटाने के लिए किये गये आन्दोलन का सफल नेतृत्व किया। उस कठिन समय में कार्य करना एवं कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखना वास्तव में बड़े ही जीवट का कार्य था।

       श्री भंवर सिंह जी बड़े ही अध्ययनशील प्रचारक थे। अपनी इसी प्रकृति के कारण उनके द्वारा संघ विचार का बड़े ही सुन्दर ढ़ंग से प्रतिपादन होता। अरविन्द साहित्य के वे विशेष अध्येता थे। उनके बौद्धिकों में महर्षि अरविन्द के विचारों का बड़े विशिष्ट ढ़ंग से प्रतिपादन होता था। मूलतः वे आध्यात्मिक प्रकृति के थे। बीकानेर में जब उन्होंने कार्यालय का निर्माण करवाया तो उसके तलघर में उन्होंने एक सुन्दर साधना कक्ष बनवाया। जिसमें वे नियमित साधना किया करते थे। 

       श्री भंवर सिंह जी काफी लम्बे समय से अस्वस्थ रहे, लेकिन किसी को भी अपनी अस्वस्थता का ज्ञान नही होने दिया। अपनी पीड़ा को स्वयं ही झेलते रहे। 21 अगस्त, 1986 को वे सभी को अलविदा कह गए।

       श्री भंवर सिंह जी राजस्थान में संघ कार्य विस्तार के आधार स्तम्भ रहें। उनका जीवन सदा स्वयंसेवकों को प्रेरणा देता रहेगा।




1 comment:

  1. I knew him since my days in Sikar 1959, he was very handsome, fair colored and attractive personality, a man of few words but highly intelligent and great thinker. He was very good friend of father from Sikar and a very frequent visitor to my family. On my joining AIIMS, New Delhi, he visited me along with Shri Thakur Das ji Tandon, for medical consultations. I still remember both of them took fruits in lunch instead of meals.He was a very frugal eater, he told me that he suffers from indigestion.He was a great pracharak. Dr T D Dogra, Former Director, AIIMS, New Delhi.

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