Saturday 21 May 2011

दिवंगत प्रचारक - स्व. श्री ब्रह्मदेव जी शर्मा


स्वर्गीय श्री ब्रह्मदेव जी शर्मा
जन्म - 1923 स्वर्गवास - 24 फरवरी, 2002

       श्री ब्रह्मदेव जी मूलतः पंजाब के स्वयंसेवक थे। 1946 में पंजाब में ही प्रचारक के रूप में कार्य किया। वे दिन विभाजन की त्रासदी से भरे हुए थे। इस कालखण्ड में श्री ब्रह्मदेव जी द्वारा अन्य स्वयंसेवकों के साथ मिलकर हिन्दू शरणार्थियों की भरसक मदद की गई। उनके विचारों पर अन्त समय तक उस त्रासदी का गहरा प्रभाव स्वयंसेवक अनुभव कर सकते थे।

       1959 में वे राजस्थान के प्रान्त प्रचारक बनकर आये। उस समय सम्पूर्ण राजस्थान में कुल 400-500 शाखाऐं थी। उन्होंने राजस्थान में न केवल प्रचारकों की टोली को बढ़ाया अपितु सभी कार्यकर्ताओं के समक्ष 1000 शाखाओं का लक्ष्य रखकर प्रेरित किया। उनके कर्तृत्व एवं योग्य मार्गदर्शन का ही प्रभाव था कि 1972 के आते आते राजस्थान का कार्य इस लक्ष्य को प्राप्त कर आगे छलांग लगा गया।

       श्री ब्रह्मदेव जी के बारे में सभी अधिकारी यह धारणा रखते थे कि उन्होंने राजस्थान की रेत में से तेल निकाला। वे एक प्रभावशाली वक्ता थे। उनके प्रवास का विभिन्न क्षेत्रों के महाविद्यालय विधार्थी एवं गणमान्य नागरिक बेसब्री से इंतजार करते थे। आगे जाकर केवल उनके नाम से बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते थे। वे दिल से बोलते थे तथा अपने बौद्धिक में भाव-भावनाओं का ऐसा प्रवाह निर्माण करते थे कि श्रोता उसमें गोते लगाने लगता था।

       उनका विशिष्ट व्यक्तित्व आज भी उस समय के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरक है। भाव-भावनाऐं उनकी आंखों में सदैव दिखाई देती थी। बिना कहें ही स्वयंसेवक उन्हें समझ जाते थे। वे सदा स्वयंसेवकों से उनकी स्थानीय भाषा में बात करते थे। राजस्थान में प्रवास करते समय उन्होंने यह योग्यता हासिल की। इस कारण से वहाँ के स्वयंसेवक उनसे एकात्मता अनुभव करते थे।

       सम्पूर्ण प्रान्त में उनका व्यापक जनसम्पर्क था। 1977 के बाद वे अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। अपने शरीर को तिल तिल कर गलाने के कारण अस्वस्थता ने उन्हें आ घेरा। उनके देहावसान पर राजस्थान के गणमान्य नागरिकों का उपस्थित होना उनके प्रति सभी स्तर के लोगो की गहरी आत्मीयता को प्रदर्शित करता है।

       मा.ब्रह्मदेव जी राजस्थान में संघ कार्य विकास के आधार स्तम्भ थे। वे सदा याद किए जाते रहेंगे।




1 comment:

  1. I knew him since 1960 (Bikaner). He was great orater. He remained in touch with me continuously on his shifting to Delhi Bharat Mata Mandir, R K Puram. He visited to me at AIIMS hospital some times along with other senior RSS officials for medical consultation at AIIMS. He was always full of love and recalling old days in Rajasthan. His last days perhaps were not good, I regret due to busy shedule I could not meet him in his last few years, but I heard he was not in good shape. Dr.T D Dogra, Former Director AIIMS, New Delhi.

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